टेपू : कानासी मोटी

टेपू जो कि मूलतः खड़ीन की स्तिथि से प्रचलन में आया ,खड़ीन की भौगोलिक स्थिति कानासी मोटी की परिसीमा में हैं| यह वर्तमान में एक राजस्व गाँव भी हैं| इसकी ग्राम पंचायत मुख्यालय से दूरी 4 किमी हैं| फलोदी से इसकी दुरी 48 किमी हैं एवम जोधपुर से इसकी दूरी 198 किमी हैं|
इस उपभाग/ वास में केलण भाटी परिवारों की संख्या 95 हैं| ये परिवार राव केलण जी के वंशज राव खियोजी के परिवार हैं| टेपू गाँव के प्रारंभिक रूप से बसते समय मूल निवास स्थान यही रहा हैं | इस उपभाग के अधिकतम परिवार शिक्षित हैं एवम शिक्षा का स्तर सामान्य हैं| सेना के साथ व्यवसाय के सभी क्षेत्रों में लोग कार्यरत हैं| अनिश्चित मानसून के कारण लोगों ने नलकूपों की सिंचाई पद्धति अपनाई और इसमें अच्छी उन्नति की हैं| गाँव पास के प्रमुख नगरों एवम पंचायत मुख्यालय से पक्की सड़क द्वारा जुडा हुआ हैं|

इस उपभाग में श्री कुशाल सिंह की ढाणी स्थित हैं जिसमें करीबन 15 राजपूत परिवारों का निवास हैं| इसके अलावा गाँव में कृपासर नाम से मेघवाल परिवार की बस्ती हैं जिसमे बाबा रामदेव जी का मंदिर हैं |इस परिवार के 45 परिवार यहाँ निवास कर रहे हैं|

 

कानासी मोटी के प्रमुख स्थान

1. कुलदेवी स्वान्गियाजी माता का मंदिर

भाटी वंश की कुलदेवी स्वान्गीया जी यह मंदिर काफी बड़ा हैं| जो कि गाँव के मध्य में स्थित हैं| मंदिर में नित पूजा की जाती हैं एवम नवरात्रि में धूमधाम से पर्व मनाया जाता हैं| मंदिर का रख-रखाव, वातावरण एवम सौदर्य प्रशंसनीय हैं|

2. श्री राधा-कृष्ण मंदिर

कानासी मोटी में स्थित इस मंदिर में भाद्रपद के कृष्ण पक्ष के अष्टमी को पूजन एवम जागरण आयोजित होता हैं| मटकी फोड़ने का कार्यक्रम काफी शानदार होता हैं| र्इष्टदेव श्री कृष्ण के साथ राधा जी के स्वरुप की पूजा की जाती हैं|

3. बाबा रामदेव जी का मंदिर (कृपासर)

राजस्थान के पांच पीरों/ लोकदेवता में एक बाबा रामदेव जी का यह मंदिर लोक में आस्था का बड़ा केद्र हैं| प्रमुख मंदिर टेपू से 45 किमी की दुरी पर हैं| भाद्रपद माह की शुकल पक्ष द्वितीय (बाबे की बीज )को विशेष पूजा की जाती हैं| यह कृपासर में स्थित हैं’|

4. राणी भटियानी जी का मंदिर

माँ भटियानी जी जोगीदास गांव, जैसलमेर के श्री जोगीदास सिंहजी की पुत्री थी| जिनका विवाह मालानी क्षेत्र में महेचा परिवार से हुआ था| बाद में माता माँ भटियानी जी अपने चमत्कार एवं महिमा के कारण लोक में आस्था का केंद्र बन गयी| प्रत्येक माह की शुकल पक्ष की त्रयोदशी को विशेष पूजा की जाती हैं| पास में ही सवाई सिंहजी भोमिया जी का मंदिर हैं| माता का वास्तविक नाम स्वरुप कंवर हैं एवम इनका प्रमुख मंदिर जसोल, बाडमेर हैं| मंदिर निर्माण विक्रम संवत 2068 में हुआ था|

5. सवाई सिंह जी भोमिया जी का मंदिर

यह मंदिर राणी भटियानी जी के मंदिर के पास ही हैं| मंदिर निर्माण विक्रम संवत 2068 में हुआ था| प्रत्येक माह की शुकल पक्ष की त्रयोदशी को विशेष पूजा की जाती हैं| मंदिर निर्माण कानासी मोटी के सभी परिवारों द्वारा सामुदायिक रूप से किया गया|

6. राजकीय प्राथमिक विद्यालय

यह शिक्षा का प्रमुख केंद्र हैं| राज्य सरकार द्वारा संचालित इस विद्यालय में शिक्षा के साथ खेल-कूद पर भी विशेष ध्यान दिया जाता हैं|

7. विघुत गृह

यह इस उपभाग में विघुत उर्जा का स्रोत हैं |जो पुरे गांव में विघुत की आपूर्ति करता हैं| गांव के नलकूपों को भी यह विघुत आपूर्ति करता है|

8. आंगनवाडी केंद्र

आंगनवाडी केंद्र जो कि बच्चों के विकास का केंद्र हैं, राज्य सरकार द्वारा संचालित हैं| आंगनवाडी केंद्र में प्रारंभिक शिक्षा के साथ शारीरिक शिक्षा के साथ बाल-विकास एवम कौशल पर आशा सहयोगी द्वारा ध्यान दिया जाता हैं|

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