टेपू दुर्गाणी
गांव टेपू का उपभाग दुर्गाणी जो कि राजस्व ग्राम भी हैं, पंचायत मुख्यालय से लगभग 8 किमी की दुरी पर स्थित हैं| यह फलोदी से 42 किमी की दुरी एवं जोधपुर से 182 किमी दुरी पर स्थित हैं| इस उपभाग में केलण परिवार के लगभग 80 घर हैं, जोकि राव केलण जी के वंशज राव खिंयोजी द्वारा बसाया गया| मूलतः यह परिवार राव खिंयोजी के वंशज दुर्गभाण जी द्वारा बसाया गया| अन्य उपभाग भैरू जी ढाणी भी दुर्गभाण जी के द्वारा बसाया गया हैं|
कुलदेवी माँ स्वान्गीया जी का मंदिर इस गांव में स्थित हैं एवं सभी ग्रामवासी नित माता की पूजा करते हैं| भाटी वंश के परिवार के इष्टदेव श्री कृष्ण एवं कुलदेव लक्ष्मीनाथ जी हैं| अपने अभिवादन में ” जय श्री कृष्णा ” शब्द का प्रयोग इष्टदेव के प्रति श्रध्दा एवं भक्ति को दर्शाता हैं|
इस उपभाग में उदावत राठौड परिवार के 10 घर भी स्थित हैं जो कि जोधपुर नरेश सुजाजी के पुत्र राव उदाजी के वंशज हैं| सूर्यवंशी यह परिवार माँ नागाणाराय की पूजा करते हैं| इस भाग में सोढा परिवार भी निवास करते हैं| गुरु वशिष्ठ द्वारा आबू पर्वत पर अग्निकुल में परमार वंश की उत्पत्ति हुई उसमें आगे जाकर परमार वंश में सोढा खाप हुई | उसी का वंशज यह परिवार हैं| एक तीतर के बदले सेकड़ों सोढा राजपूतों ने अपना बलिदान दे दिया था उनका यह बलिदानी कथा हमें इनके शौर्य एवं त्याग का आभास कराती हैं|इनकी कुलदेवी सच्चीयाय माता हैं जिसका मंदिर इस उपभाग में स्थित हैं| सच्चीयाय माता जी का प्रमुख मंदिर ओसियां में स्थित हैं|
दुर्गाणी उपभाग में साक्षरता दर उच्च हैं | आर्मी , शिक्षा एवं चिकित्सा में यहां के लोग कार्यरत हैं| वर्तमान में नलकूप से सिंचाई पर अधिक जोर दिया गया हैं तथा इस क्षेत्र में अतुलनीय उन्नति की हैं|
दुर्गानी के प्रमुख मंदिर, भवन एवं स्मारत:-
टेपू दुर्गाणी के प्रमुख स्थान
1. माँ स्वान्गीया जी का मंदिर
इस उपभाग में भाटी वंश की कुलदेवी माँ स्वान्गीया जी का मंदिर स्थित हैं| नवरात्रि में विशेष मेले का एवम पूजा का आयोजन होता हैं| सारे गांव की आस्था इस मंदिर से जुडी हुई हैं| मंदिर का निर्माण सभी ग्रामवासी द्वारा आपसी सहयोग द्वारा बनाया गया हैं|
2.नागाणाराय मंदिर
यह राठौड वंश की कुलदेवी हैं| इस उपभाग में उदावत वंश की कुलदेवी माँ नागाणाराय का मंदिर स्थित हैं जोकि गांव में एकमात्र मंदिर हैं|प्रत्येक माह की शुकल पक्ष की सप्तमी को भारी मेला भरता हैं|
3.सच्चीयाय माता मंदिर
यह मंदिर परमार वंश के सोढा राजपूतों की कुलदेवी का मंदिर हैं| यहाँ निवास करने वाले सोढा परिवार द्वारा मंदिर में पूजा-अर्चना की जाती हैं|यहाँ नवरात्रि में मेला भरता हैं| माता का प्रमुख शक्तिपीठ ओसियां में हैं|
4. संकटमोचन हनुमान मंदिर
टेपू गांव का एकमात्र हनुमान मंदिर दुर्गाणी में स्थित हैं| दुर्गाणी द्वारा पानी की समस्या को देखते हुवे एक बार कुआं खोदा गया उस समय कुऐ की खुदाई से पूर्व इस मंदिर की नीव रखी गई|
5.श्री भूर सिंह जी भोमिया जी का थान
यह मंदिर शक्तिस्थल हैं यहाँ आने वाले सभी रोगियों की बीमारी एवम पीड़ा दूर हो जाती हैं| मस्से की समस्या के लिए रोगी द्वारा मंदिर आकर परिक्रमा देने पर वह रोगमुक्त हो जाता हैं| यह मंदिर आसपास गांव में भी आस्था का केंद्र बन गया हैं|
6. जलाशय
इस कुवें का निर्माण दुर्गाणी द्वारा विक्रम संवत 2005 में किया गया| पानी की समस्या को दूर करने के लिए इसका निर्माण 70 वर्ष पूर्व किया गया था| इसके निर्माण के समय ही गांव में हनुमान मंदिर स्थापित हुआ |
7. राजकीय प्राथमिक विद्यालय
यह विद्यालय यहाँ की शिक्षा का केंद्र हैं| कक्षा 8वीं तक अध्ययन की सुविधा हैं| शिक्षा के साथ शारीरिक एवम कौशल विकास में जोर दिया जाता हैं|यह राजस्थान सरकार द्वारा संचालित हैं|
8. आंगनबाड़ी केंद्र: दुर्गाणी
यह राजस्थान सरकर द्वारा संचालित हैं| जिसमें विद्यालय से पूर्व बच्चों में खेल, कौशल एवं शारीरिक शिक्षा पर ध्यान दिया जाता हैं| सरकार द्वारा आशा सहायिका द्वारा इसका मार्गदर्शन एवम रखरखाव होता हैं|
9.विघुत गृह
यह दुर्गाणी में विघुत ऊर्जा का स्रोत हैं |जो पुरे गांव में विघुत की आपूर्ति करता हैं| गांव के नलकूपों को भी यह विघुत आपूर्ति करता है|
10. तालाब (तलाई)
यह दुर्गाणी में पानी का सबसे बड़ा प्राकृतिक स्रोत हैं| जिसका निर्माण एवं विस्तार सम्पूर्ण गांव द्वारा समय-समय पर किया गया हैं| जोकि पशुधन एवं घरेलु उपयोग में काम आता हैं|