टेपू : श्री भैरूसिंह की ढाणी
यह गांव टेपू का सबसे छोटा उपभाग हैं |मूलतः दुर्गभाणजी द्वारा बसाये गए दुर्गाणी का ही एक उपभाग श्री भैरूजी की ढाणी हैं| इस भाग में वर्तमान में 30 परिवार के लोग रहते हैं|जोकि ग्राम पंचायत मुख्यालय से मात्र 5 किमी की दुरी पर है| गांव का यह उपभाग बाहदुर सिंह के 3 पुत्रों ठा. भैरू सिंहजी, ठा. सुजान सिंहजी , ठा. प्रहलाद सिंहजी एवं उनके भाइयों द्वारा बसाया गया| समस्त ग्रामवासी शिक्षित, रोजगारयुक्त एवम कृषि के क्षेत्र में आधुनिक तकनीक के साथ जुड़े हुवे हैं| अधिकतर आर्मी, शिक्षा, पुलिस, खेल आदि में सेवा दे रहे हैं| यह उपभाग फलोदी एवम तहसील बाप से 45 किमी दुरी पर स्थित हैं| जिला मुख्यालय जोधपुर से इसकी दुरी लगभग180 हैं| यहाँ के ग्रामवासी अपनी कुलदेवी माँ स्वान्गिया जी के साथ इष्टदेव श्रीकृष्ण की भी पूजा करते हैं| गाँव पक्की सड़क से जुडा हैं एवम यातायात के साधन सुलभ हैं|
इस उपभाग के प्रमुख स्थान और मंदिर

1.माँ स्वान्गिया जी का मंदिर
भाटी वंश की कुलदेवी माँ स्वान्गिया जी का यह मंदिर गांव के मध्य में स्थित हैं| जिसकी नित पूजा की जाती हैं एवम नवरात्रि में धूमधाम से पर्व मनाया जाता हैं| प्रत्येक माह की शुकल पक्ष सप्तमी को विशेष पूजा की जाती हैं| मंदिर निर्माण के समय तीनों भाई ठा. भैरू सिंहजी, ठा. सुजान सिंहजी एवं ठा. प्रहलाद सिंहजी तीनों भाई मंदिर निर्माण कार्य में लगे थे|छोटे भाई ठा. प्रहलाद सिंहजी थाली में मूर्ति लेके गर्भगृह की तरफ जा रहे थे तब सुगन चिड़ि घट स्थापना वाली जगह पर विराजमान हो जाती हैं| उसकी तिलक लगाकर पुजा की जाती हैं | उसके बाद मूर्ति स्थापना की जाती हैं| माँ का सुगन चिड़ि रूप में आना निसंदेह चमत्कारी हैं एवम सभी में यह मंदिर शक्ति-स्थल का पर्याय बन चूका हैं|मन्दिर का रख-रखाव, वातावरण एवम सौदर्य प्रशंसनीय हैं|

2.श्री पदम् सिंहजी भोमियाजी
जैसलमेर रियासत काल में पालीवाल ब्राह्मिनों के साथ युद्ग में आपने प्राणों का सर्वस्व बलिदान कर दिया| प्रत्येक माह की शुकल पक्ष तृतीया को विशेष पूजा की जाती हैं| इनका प्रमुख मंदिर सांवरिज फलोदी में हैं|

3.राणी भटियानी जी का मंदिर
माँ भटियानी जी जोगीदास गांव, जैसलमेर के श्री जोगीदास सिंहजी की पुत्री थी| जिनका विवाह मालानी क्षेत्र में महेचा परिवार से हुआ था| बाद में माता माँ भटियानी जी अपने चमत्कार एवं महिमा के कारण लोक में आस्था का केंद्र बन गयी| प्रत्येक माह की शुकल पक्ष की त्रयोदशी को विशेष पूजा की जाती हैं| पास में ही सवाई सिंहजी भोमिया जी का मंदिर हैं| इनका प्रमुख मंदिर जसोल, बाडमेर हैं|

4. श्री कृष्ण मंदिर
भैरू सिंहजी की ढाणी में स्थित इस मंदिर में भाद्रपद के कृष्ण पक्ष के अष्टमी को पूजन एवम जागरण आयोजित होता हैं| इष्टदेव श्री कृष्ण के साथ राधा जी के स्वरुप की पूजा की जाती हैं|

5. बाबा रामदेव जी का मंदिर
राजस्थान के पांच पीरों/ लोकदेवता में एक बाबा रामदेव जी का यह मंदिर लोक में आस्था का बड़ा केद्र हैं| प्रमुख मंदिर रामदेवरा टेपू से 45 किमी की दुरी पर हैं| भाद्रपद माह की शुकल पक्ष द्वितीय (बाबे की बीज )को विशेष पूजा की जाती हैं|

6.संतोषी माता मंदिर एवम शिव-पार्वती मंदिर
संतोषी माता का यह मंदिर गांव में एकमात्र मंदिर हैं| दोनों मंदिर पास-पास हैं| गणेश पुत्री माँ संतोषी दुर्गा माता का स्वरुप मानी जाती हैं| प्रत्येक शुक्रवार को विशेष पूजा की जाती हैं| इनका प्रमुख मंदिर लालसागर,जोधपुर के पास हैं|शिव-पार्वती मंदिर में शिवलिंग एवम नंदी की पूजा की जाती हैं| हर वर्ष शिवरात्रि में मेला भरता हैं|

7. पाबूजी मंदिर
लोकदेवता पाबूजी का मंदिर गांव में एकमात्र मंदिर हैं| पाबूजी को प्लेग रक्षक माना जाता हैं| ऊंट बीमार होने पर इनकी पूजा-प्रसाद करने से सही हो जाता हैं|भाद्रपद माह की शुकल पक्ष दशमी को विशेष पूजा की जाती हैं| इनका प्रमुख मंदिर कोलुमंड, फलोदी में हैं|( नोट: वेबसाईट की लाइब्रेरी में पाबूजी पर लिखी गई किताब उपलब्ध हैं| )

8. आंगनवाडी केंद्र
राजस्थान सरकार द्वारा संचालित प्राथमिक स्तर पर शिक्षा के साथ-साथ खेल एवम शारीरिक-कौशल विकास के भी केंद्र हैं|

9.बस स्टैंड
इस उपभाग में सारी बसों का संचालन होता हैं | यहाँ पर यात्रियों के लिए बैठने एवं पानी की उत्तम सुविधा हैं|

10.तालाब एवं नाडी
ग्रामीणों के आपसी सहयोग द्वारा निर्मित यह तालाब घरेलु पानी एवं पशु धन के लिए पानी का अच्छा प्राकृतिक स्रोत हैं| नाडी का निर्माण राजस्थान सरकार द्वारा 50 बीघा के क्षेत्र में करवाया गया हैं|

11. राजकीय प्राथमिक विद्यालय
राजस्थान सरकार द्वारा संचालित प्राथमिक स्तर पर शिक्षा के साथ-साथ खेल भी केंद्र हैं|